भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान दशा को लेकर पिछले कुछ महीनों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। संयोग से सत्ताधारी दल के ही कुछ वारिष्ठ नेताओं नें जो टिप्पणी की है, उसकी यह कहकर अनदेखी की गई कि उन्हें सत्ता योग सुख नहीं दिया गया, दुर्भाग्यजनक है बजाय इसके अर्थ व्यावस्था पर बहस होनी चाहिये और आज जो आम लोगों में असंतोष है, उसकी सुनकर सरकार को कुछ बड़े कदम उठाने चाहिये।